Monday, March 31, 2014

न जाने क्यूँ

न जाने क्या ढूंढ़ती हो कागज़ कि सियाही में 
लिखावट तो मेरी तुम्हारे दिल पे है |
न जाने क्यूँ ढूंढ़ती मुझे हो अल्फ़ाज़ों में 
तस्वीर तो मेरी तुम्हारी आँखों में है || 

न जाने क्या सुनती हो गीतों कि धुन में 
आहट तो मेरी तुम्हारी साँसों में हैं |
न जाने क्यूँ पढ़ती मुझे हो मुस्कुराहटों में 
कशिश तो तुम्हारी मेरी उदासी में है ||

सावळ्याची तू

सावळ्या अंगावरी या उजळ ती कांती तुझी 
सावळ्या मनावरी या मधाळ ती लज्जा तुझी 
सावळ्या अन या निशेची चंद्राळ ती लव तुझी 
सावळ्या त्या तळ्यातली ओशाळशी थरथर तुझी 

सावळ्या कोण्या धुनेला उजळी ती खळ तुझी
सावळ्या अन शुभकराची मायाळ ती हाक तुझी
सावळ्या एक मृगजळाला स्वप्नाळ ती आस तुझी 
सावळ्या या हृदयातली निखळशी धगधग तुझी 

Friday, March 28, 2014

यारियाँ

वो नन्हीसी कहानियाँ 
वो डंडी और गिल्लियाँ 
वो कार्नर कि आईस्क्रीम 
और बचपन कि गलियाँ 

वो किताबों कि दास्तानें 
वो बुनाई के दस्ताने 
वो मुर्गे वाली पनिश्मेंट 
और बैटिंग कि परेशानियाँ 

वो नयी आज़ादी के दिन 
वो खचाखच भरा कैंटीन
वो क्लासरूम कि हरक़तें  
और मज़े कि गालियाँ 

वो गुजरे से लम्हें 
वो बीती सी शिकायतें 
और दूर जाते रुलाती 
वो यारों कि यारियाँ 

Thursday, March 20, 2014

जरासे तू मी

जराशी तू अन जरासा मी ,
माझीशी तू अन तुझासा मी ।
समजशी तू कि कसासा मी ; 
ओळखशी तू बस तसासा मी ।।

उघडशी तू तो कवडसा मी ,
पाहशी तू त्या स्वप्नासा मी ।
तुझीशी तू नाही माझासा मी ;
माझीशी तू अन तुझासा मी ।।