न जाने क्या ढूंढ़ती हो कागज़ कि सियाही में
लिखावट तो मेरी तुम्हारे दिल पे है |
न जाने क्यूँ ढूंढ़ती मुझे हो अल्फ़ाज़ों में
तस्वीर तो मेरी तुम्हारी आँखों में है ||
न जाने क्या सुनती हो गीतों कि धुन में
आहट तो मेरी तुम्हारी साँसों में हैं |
न जाने क्यूँ पढ़ती मुझे हो मुस्कुराहटों में
कशिश तो तुम्हारी मेरी उदासी में है ||