चांद का मेरे भी इक नाम है
इक चांद के लिये ही मेरा भी दिल बेकरार है
वो आता है फलक पर और करवट बदलता है
वो आता है तो सारा रास्ता झूम उठता है
उसके आने से रजनीगंधा भी महक उठती है
और न जाने कहाँ से ये जुगनू भी आ जाते हैं
ओंदे ओंदे से दिल के दिए जलाते हैं
आता तो वोह हर ही रात को है
फिर भी उसका इंतज़ार मुझे छत तक खींच लाता है
टिमटिमाते तारों में नम होती पलकों से
उसके दीदार का नशा ही कुछ और है
जिस रोज़ नहीं आता वोह
मुझसे ये दिल भी नहीं मानता
तब रात गुजर जाती है
पर आँखों का सन्नाटा नहीं मानता
फिर अगली रात जब वो नानी सी मुस्कान लिए आता है
उसके खेल पे गुस्सा होके भी उसकी अटखेलियों पे प्यार आता है
फिर रास्ते झूम उठते हैं, और जुगनू नांच उठते हैं
वो तो ज्यों ही हँसता रहता है ... फिर मैं भी हंस देती हूँ
इक चांद के लिये ही मेरा भी दिल बेकरार है
वो आता है फलक पर और करवट बदलता है
रात कि सिलवटों पर मेह की बूँदें बिखेरता है
वो आता है तो सारा रास्ता झूम उठता है
उसके आने से रजनीगंधा भी महक उठती है
और न जाने कहाँ से ये जुगनू भी आ जाते हैं
ओंदे ओंदे से दिल के दिए जलाते हैं
आता तो वोह हर ही रात को है
फिर भी उसका इंतज़ार मुझे छत तक खींच लाता है
टिमटिमाते तारों में नम होती पलकों से
उसके दीदार का नशा ही कुछ और है
जिस रोज़ नहीं आता वोह
मुझसे ये दिल भी नहीं मानता
तब रात गुजर जाती है
पर आँखों का सन्नाटा नहीं मानता
फिर अगली रात जब वो नानी सी मुस्कान लिए आता है
उसके खेल पे गुस्सा होके भी उसकी अटखेलियों पे प्यार आता है
फिर रास्ते झूम उठते हैं, और जुगनू नांच उठते हैं
वो तो ज्यों ही हँसता रहता है ... फिर मैं भी हंस देती हूँ