जुगनुओं की लपटों में ढूँढ लेता हूँ झुकती पलकें उसकी
बरसात में ढून्ढ लेता हूँ बालों की झटक उसकी ;
हाथ की लकीरों में ढून्ढ लेता हूँ राहें उसकी ;
सोचता हूँ हर मोड़ पर मिले आहटें उसकी
पर मिलती है तो बस दिलपे लिखावट उसीकी ||
बरसात में ढून्ढ लेता हूँ बालों की झटक उसकी ;
ढूँढता हूँ सूरज की किरनों में मुस्कुराहटें उसकी
और मिलती है चाँदनी में आवाज उसीकी ||
टूटे बटनों में ढून्ढ लेता हूँ मैं दात से कटे धागे उसके
जख्मों में भी ढून्ढ लेता हूँ मैं रुमाल के निशान उसके ;
ढूँढता हूँ कमीजों में महकते एहसास उसके
और मिलते हैं दराज में आज भी पड़े ख़त उसीके ||
चादर की सिल्वटों में ढून्ढ लेता हूँ साँसे उसकीऔर मिलती है चाँदनी में आवाज उसीकी ||
टूटे बटनों में ढून्ढ लेता हूँ मैं दात से कटे धागे उसके
जख्मों में भी ढून्ढ लेता हूँ मैं रुमाल के निशान उसके ;
ढूँढता हूँ कमीजों में महकते एहसास उसके
और मिलते हैं दराज में आज भी पड़े ख़त उसीके ||
हाथ की लकीरों में ढून्ढ लेता हूँ राहें उसकी ;
सोचता हूँ हर मोड़ पर मिले आहटें उसकी
पर मिलती है तो बस दिलपे लिखावट उसीकी ||